बचपन में हम अपना माई से अक्सर दू गो सवाल पूछत रहनी; पहिलका कि ‘मामा फूफा हमनी के घरे कब अइहे?’ आ दूसरका, ‘जिउतिया आ गोधना कब आई माई?’
हम अक्सर मां के माई के नाम से संबोधित करेनी। एह सवालन के ध्यान में राखत, हमरा मेहमानन से ओतना लगाव ना रहे, ना ही हमनी के बचपन में जिउतिया व्रत के महत्व के बारे में जानत रहनी जा आ कवनो रुचि भी ना रहे। जब भी कवनो मेहमान हमनी के घरे आवत रहन त हमनी के पेट आ जेब दुनु गरम हो जात रहे।ठीक ओइसहीं जइसे मेहमाननवाजी के दिने भा ओकरा से भी जादे जिउतिया के व्रत के एक दिन बाद हमनी के मनभर तरह तरह के व्यंजन खाए के मौका मिलत रहे।
शुरू से ही हमरा पुरी, कचौरी, पकौड़ी, ठेकुआ, समोसा, जलेबी आदि तलल पकवान बहुत पसंद बा। अइसन बिल्कुल ना रहे कि हमरा ई सब चीज ना मिलत रह, मिलत त जरूरे रहे बाकिर सीमित तरीका से आ स्वास्थ्य के सर्वोपरि राख के। लेकिन जब मेहमानन के संगे खाना खाए के पड़े त हमरा इच्छा के मुताबिक अलग-अलग प्रकार के खाना खाए के मौका मिलत रहे अवुरी डटईला के भी कवनो डर ना रहत रहे।
जिउतिया के दिन हमनी के खाली सामान्य खाना मिलत रहे काहे कि ओह दिन माई के व्रत रहे। लेकिन एक दिन पहिले हमनी के गुजिया, ठेकुआ, पुरी, मडुवा के आटा से बनल हलवा के साथे सतपुतिया के सब्जी मिलत रहे। आ अगर एक दिन बाद के खाना समझावल जाव त मुँह में पानी भर जाई काहे कि ओह दिन के शुरुआत खाना से होखत रहे।
सबसे पहिले त माई हमनी के आपन हिस्सा के प्रसाद देत रहली, जवना के हमनी के ओठंगन कहेनी जा। तब हमनी के केला मिलत रहे। कुछ घंटा रहला के बाद अलग-अलग तरह के खाना के सुगंध हमनी के नाक से लेके हमनी के दिल तक पहुंचत रहे, अवुरी दिल जीभ से कहत रहे कि माई से सभ पकवान मांग के गटक ले, ना त सभ खाना के स्वादिष्ट सुगंध से ही तोहार आत्मा तृप्त हो जाई।
कुछ कहे से पहिलही माई के आवाज कान में पहुँच जात रहे, ‘अरे रिशु आऊ, खाना बन गईल बा, खाले…!’ इ वाक्य सुनते ही हमार गोड़ हमरा से बेकाबू हो जात रहे आ हम दउड़ के माई के सामने बइठ जात रहनी। फेर आँख के सोझा खाना से भरल थाली के दृश्य कवनो सपना से कम ना रहे। आ ई समझल मुश्किल हो जात रहे कि पहिले कवन पकवान खाईंल जाओ काहे कि थाली में निम्नलिखित व्यंजन मौजूद रहत रहे-
१. भात
२. कढ़ी
३. बड़ी
४. बैंगन के सब्जी
५. फुलौरा
६. आम के आचार
७. पापड़
८. चावल के चरौरी
९. आलू के चिप्स
१०. आलू के पकौड़ी
११. मिश्रित पकौड़ी
१२. लौकी के पकौड़ी
१३. टमाटर के चटनी
१४. बादाम के चटनी
१५. सलाद अउरी मुरई।
शायद रउरो हमरा जइसन उलझन में हो जात होखब कि पहिले का खाईल जाव। एक-एक करके आ कम मात्रा में सब चीज खात रहनी, काहे कि एतना पकवान देख के पेट भरल महसूस होखत रहे, लेकिन मस्ती के अंत ना रहे।
हम हमेशा एक बात पर ध्यान देत रहनी आ आजुओ हम एह बात पर ध्यान देत बानी कि 32 से 36 घंटा उपवास कइला के बाद भी माई एतना पकवान बनावेली लेकिन पहिले सबके खाना खियावेली आ ओकरा बाद खाली, चाहे ऊ भरपेट भा आधा पेट। माई कबो गौर करे के मौका ही ना दिहली। सही मायने में, माई आ ओकर प्यार एगो अथाह समुंदर जइसन होला।
एगो बात अउरी,बचपन में हमनी के बचपना के चलते जिउतिया आ माई के ना समझ पवनी जा लेकिन आज जब समझ बा त माई के समझे के समय नईखे।
रिशु कुमार गुप्ता, (कसियां, बक्सर से)