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बेमौसम हालात से टकराने का हुनर – नुरैन अंसारी

बेमौसम हालात से टकराने का हुनर !
मजबूरियों में ज़िंदगी बचाने का हुनर !

आख़िर बेरहम वक़्त सिखा ही देता हैं,
नाज़ुक कंधो को बोझ उठाने का हुनर !

मासुम आँखो के सपने बेवक्त मर गये,
अश्क़ों ने सिखा दी मुस्कुराने का हुनर !

कदम दर कदम उलझनो का साथ रहा,
मुश्किलों से सीखा सुलझाने का हुनर !

कहने के लिये कुदरत के नेमत हैं हम भी,
पर दी न उसने ख़ुशियाँ मानने का हुनर !

शुक्रिया अंधेरों को जिसके बाबत जाना,
रोशनी के लिये ख़ुद को जलाने का हुनर !

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