बेमौसम हालात से टकराने का हुनर !
मजबूरियों में ज़िंदगी बचाने का हुनर !
आख़िर बेरहम वक़्त सिखा ही देता हैं,
नाज़ुक कंधो को बोझ उठाने का हुनर !
मासुम आँखो के सपने बेवक्त मर गये,
अश्क़ों ने सिखा दी मुस्कुराने का हुनर !
कदम दर कदम उलझनो का साथ रहा,
मुश्किलों से सीखा सुलझाने का हुनर !
कहने के लिये कुदरत के नेमत हैं हम भी,
पर दी न उसने ख़ुशियाँ मानने का हुनर !
शुक्रिया अंधेरों को जिसके बाबत जाना,
रोशनी के लिये ख़ुद को जलाने का हुनर !