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सोना से माटी के बदली – मुकेश भावुक

सफर में थकान बहुत बा,
हर कोई परेशान बहुत बा.

का करब अब नया याराना,
दोस्त हमार पुरान बहुत बा.

सोना से माटी के बदली,
एह में त नुकसान बहुत बा.

साच बोलीं फटकार मिली,
झूठ कहीं, इनाम बहुत बा.

चांद तारा मुट्ठी में आ गइल,
शहर हमार हैरान बहुत बा.

‘भावुक’ अइसे हार न मानब,
जितब ई विश्वास बहुत बा.

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