दुनिया मे अब इहे बुझाता,
बात बात पर लाठी भाला.
सभे कोई बनल शिकारी,
कर देहब हम आधा आधा.
सच,झूठ,अफवाह के मोटरी,
एह में न बा कवनो बाधा.
लूगा चढ़ल कपार के उपर,
ससुर,भसुर त के ह दादा.
माई-बाप के हाल न पूछे,
ससुरारी के मान बा ज्यादा.
मांस मदिरा भईल लग्जरी,
खाना पान रहल न सादा.
सब समान पैकिट में आटल,
दाल, भात, सब्जी आ आटा.
फैशन देख न चिन्हले ‘भावुक’,
के ह मेहर आ के मरदाना.