केहु साथ दी , केहु छलत रहीं.
केहु खुश होई, केहु जलत रहीं.
ई ज़िनगी ह, येही लेखा चलत रहीं.
दुख – सुख तऽ जात आवत रही
कबो हँसाइ त कबो रूलावत रही
सूरज उगत रहीं ,सूरज ढलत रही
ई ज़िनगी ह ,येही लेखा चलत रहीं
जे आपन बा उहो पराया होई
बहुत कुछ जिनगी में नया होई
केहु धधाई , केहूं हाथ मलत रहीं
ई ज़िनगी ह ,येही लेखा चलत रहीं
आज अनहरियाँ बा त अजोरों होई
ये रतिया के एक दिन भोरों होई
केहु सोहाई, केहु आँख में हलत रही
ई ज़िनगी ह , येही लेखा चलत रहीं