माना की ज़िन्दगी में परेशानी बहुत हैं !
पर हार के भी जीतने की कहानी बहुत हैं !
ठोकरों से कह दो रोकें ना मेरे पाँव को ,
कदमों में मेरे ज़ख़्मों की निशानी बहुत हैं !
क़िल्लतों में जीने का एक अपना ही मज़ा हैं,
अपनी मुफ़लिसी से दोस्ती पुरानी बहुत हैं !
वो तो चाहता है मैं भी बेवफा हो जावू,
पर मेरे आँखो के समन्दर में पानी बहुत हैं !
“नूरैन” तुम अपने कंधो को थकने मत देना,
इन्हें ज़िम्मेवरियों की बोझ उठानी बहुत हैं !