देखो! तुम मत बनो बवाली।
मैं ही दुर्गा मैं ही काली।
खुद को खुद से ही तुम परखो,
मुझ पर नज़र न करो सवाली।
पास जरा तुम आ कर देखो,
मेरा आँचल रहे न खाली।
अपनी माँ को ही देते हो,
जब भी माँ की देते गाली।
कभी मुझे यदि बढ़ते देखो,
आगे बढ़कर पीटो ताली।
मुझसे तुम हो तुमसे मैं हूँ,
ऐसी है ये जीवन पाली।
मुझको इतना तो तुम जानो,
फल से लदी हुई मैं डाली।
छोड़ो अब ये तुलना अपनी,
याद रखो हूँ हिम्मत वाली।