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होते भिनसहरे बिहान – मुकेश भावुक

कइसे करीं हम बयान, तोहरा से प्रेम केतना
होते भिनसहरे बिहान, उगेला सुरूज़ जेतना

मनवा के भीतरी कहीं डर बा समाइल
देखीं ना तोहके, रहे जिया छछनाइल
एकरा से निमन रहिते अजोरिया,
मनवा रहे परेशान, बा हमरो फिकिर एतना
होते भिनसहरे बिहान, उगेला सुरूज़ जेतना

हसल बोलल, कइल दिलवा के बतिया
अखिया के रोकीं कइसे, लिखेला पतिया
प्रेम के नदिया मे नेह के डुबकी,
अचरा से होला फरियाद, नैना सहे केतना
होते भिनसहरे बिहान, उगेला सुरूज़ जेतना

एकही रे चउकठ आ एकही दलानी
घर के भीतर तू, हम खेत खरिहानी
जोरी जोरी पईसा,राखब केकरा खातिर,
सुनइह पायल के झंकार, हमहू देखब केतना
होते भिनसहरे बिहान, उगेला सुरूज़ जेतना

कइसे करीं हम बयान, तोहरा से प्रेम केतना
होते भिनसहरे बिहान, उगेला सुरूज़ जेतना

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