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जबसे राउर एहसान भइल बा – नूरैन अन्सारी

जबसे राउर एहसान भइल बा.
बहुत ज़्यादा नुक़सान भइल बा.

भूख प्यास सब बान्हे धराइल,
देहि,सुख के जियान भइल बा.

नींद , चैन सब कहाँ हेराईल,
मन बहुते परेशान भइल बा.

रवूआ याद के चक्कर में जी,
अपने घर सुनसान भइल बा.

का रहिनी हम का हो गइनी,
देखि के सभे हैरान भइल बा.

दिल टूटल , खूब लोर बहल,
प्रेम कहिया आसान भइल बा.

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