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का हो बरखुरदार, मोहब्बत करबा का – राम अचल पटेल

का हो बरखुरदार, मोहब्बत करबा का
सस्ता भईल बा यार, मोहब्बत करबा का

अब ना दिल लगवईया ना दिलदार केहू
प्यार बनल ब्यापार, मोहब्बत करबा का

राह चलत में प्यार आज-कल हो जाता
एतनी बा रफ्तार, मोहब्बत करबा का

एह जुग में दू चार गो प्यार जे ना कईलस
जिनगी बा बेकार, मोहब्बत करबा का

जिस्म के अब ता लोग खेलौना समझेलें
औरत के बाजार, मोहब्बत करबा का

दुनिया से उम्मीद वफ़ा के जनि करिहा
बदल गईल संसार, मोहब्बत करबा का

छोड़ा दुनियादारी अब तू भाय ‘अचल’
धुनी रमा लाऽ यार, मोहब्बत करबा का

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