यह भी पढ़ें

नज़र से मिले नज़र तो मैं दुनिया के नज़र में आऊं – मुकेश भावुक

तेरी नज़र से मिले नज़र तो मैं दुनिया के नज़र में आऊं
शायद इसी को कहते मोहब्बत,ग़ज़लों में यही मैं गाऊं

मैं शौकीन नही पीने का पर आया तेरे मय खाने में,
नज़रों से गर तू जो पिलाए, साकी मैं सारा पी जाऊ

रंगों का मुझे पता नही कुछ तू जैसा भी है दिलवर,
तेरे साँवले सूरत पर , मैं वृंदावन का गोपी बन जाऊं

एक इशारा तू कर दे बस तेरे कदमों में दुनिया सारी,
जिस रस्ते से तू गुज़रे , मैं फूलो सा बिछ जाऊं

‘भावुक’ ऐसी बात न कहना ये जन्मों का बंधन है,
हर जन्म तू मेरा हीर बने, मैं तेरा रांझा बन आऊं

आपको यह भी पसंद आएगा

साहित्य अड्डा

होते भिनसहरे बिहान – मुकेश भावुक

कइसे करीं हम बयान, तोहरा से प्रेम केतना होते भिनसहरे...

आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो – मनोज भावुक

खिलने दो ख़ुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो आने दो...

घर परिवार के बोझा – दिपेन्द्र सहनी “दीपू”

कइसे कमाईँ कि घर के खर्चा चलाईं, सेलरी दस रूपिया...

जागऽ बेटी.. – रिशु कुमार गुप्ता

हर जुग में होखत आइल तहरे प अत्याचार काहें? काँपत...

हमहि से प्रेम हमहि से छुपावे के बा-मुकेश भावुक

उनुकर इरादा हमके सतावे के बा, हमहि से प्रेम हमहि...