प्रीत जाहिया सजोर हो जाई
भाव मन के विभोर हो जाई!
दर्द के बांसुरी के बजाई
बोल बाहरी की सोर हो जाई!
हम सवारब सनेह से सूरत
रूप सुगना क ठोर हो जाई !
रात भर नाच के थकल जिनगी
जाग जाई त भोर हो जाई!
पांख आपन पसारि के जइसे
सनचिरईया चकोर हो जाई!
चोट खाईं त मोम जइसन मन
काठ अइसन कठोर हो जाई!
देख के रूप, रूप अनदेखल
छोट चिनगी धंधोर हो जाई !
रूप का तीर के चुभन कसकी
दाह दहकी त लोर हो जाई !
के निहोरा करी अनहरिया के
आँख झपकी अंजोर हो जाई !
के कहानी सुनी पिरितिया के
हम सुनाइब त भोर हो जाई!
परिचय: रमेशचन्द्र झां जी का जन्म 08 मई 1925 को सुगौली, पूर्वी चंपारण, बिहार मे हुआ था। चंपारण की साहित्य साधना, चंपारण के साहित्य और साहित्यकार, चंपारण की साहित्य यात्रा इनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं।