जब आपन-आपन लोगवा चिन्हाये लागेला.
तब स्वर्ग जईसन घर भी बटाये लागेला.
जब घर में अबर हो जाले बिश्वास के बरही,
तब कौनो तिसरईत के हेंगा टंगाये लागेला.
लोग भूल जाला जब सगरी नेकी-उपकार ,
तब गुलाब भी धतुर जईसन बसाये लागेला.
जवना घर में हो जाले ईमानदारी मुसमात,
वोहिजग दवा भी एहसान में गिनाये लागेला.
“नूरैन” प्रेम से सुखल रोटी भी लागेला नीमन,
खोबसन से अमृत के बूँद भी उगलाये लागेला.