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उम्मीद के फूल – मुकेश भावुक

होके परेशान उ मर गइल,
का रहे उ का कर गइल?

घर के उम्मीद के फूल रहे,
समय से पहिले झर गइल

डाँटला पर अब चुप्पी बा,
बाप खुद से ही डर गइल

बात दिल के कहीं केसे,
सगरो गांव शहर गइल

ओरात बा कहाँ समय,
देखीं केतना पहर गइल

‘भावुक’ पीछे मत देख,
आगे केतना डहर गइल

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