ऊ नामी आदमिन के साजिशन बदनाम कइलन स – मनोज भावुक

ऊ नामी आदमिन के साजिशन बदनाम कइलन स
एही तिकड़म से सारे खूब नू चर्चा में अइलन स।

केहू पूछल ना ओकनी के त एगो काम कइलन स
खुदे संस्था बनवलन स आ खुदही मेठ भइलन स।

दिया हम नेह के लेके सफर में बढ़ रहल बानी
ऊ नफरत के भयंकर आग में जर-जर बुतइलन स।

बेचारा का करs सन, बम में दम त बा ना सिरिजन के
केहू के खींच के टङरी ऊ आपन कद बढ़इलन स।

बना देलन स सच के झूठ ऊ अपना थेथरपन से
मगर सच सच रहेला ई ना लबरा बूझ पइलन स।

जहाँ तक हो सके, दूरे रहीं कींचड़ आ लीचड़ से
परल एहनी के पाले जे, ई ओकर नाश कइलन स।

कबो पनरोह से पूछीं जे जमकल पाँक के पिलुआ
दहइलन सन ना पानी से त बाँसो से कोंचइलन स।

कहाँ पानी गटर के रोक पवलस गाछ के बढ़ती?
निगेटिव जीव कतने राह में अइलन स, गइलन स।

करीं आभार ए मुरुखन के, मन से दीं दुआ खूबे
एकनिये के नू राउर मुफ़्त में परचार कइलन स।

जोगाड़ू फूल माला मंच बैनर जय हो जय हो से
बिना कुछ करनी धरनी के फलाने जी कहइलन स।

भला असमान पर थुकला से ओकर का होई ‘भावुक’
मगर बकलोल जिनगी भर बस ईहे काम कइलन स।