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बोलवले बा केहू हमरा के देके तार होली में – सुनील कुमार तंग ( तंग इनायतपुरी)

ग़ज़ल लिखनी हँ सातो रंग से चटकार होली में
बोलवले बा केहू हमरा के देके तार होली में ।

कबो हमनी लगवले जे रहीं कचनार होली में
उ बढ़ के हो गइल बा के तरे छितनार होली में ।

कबो एकरार होली में कबो इनकार होली में
गजब उल्टा भइल बा दिल के कारोबार होली में ।

चलल बानी अगर लिहले अकेले रूप के दउलत
रहीं हुशियार, बाड़े सन इहाँ बटमार होली में ।

बिरज मशहूर बा लठमार होली से, त बा लेकिन
इहाँ घायल भइल बा दिल इ कनखीमार होली में ।

इ सरदी के सतावल त महिनवन पर उठल बानी
कहाँ जाएब बुढ़ौती में चचा ससुरार होली में ।

हई देखीं सुलखना के, उ दारू पी के सूतल बा
आ घरनी कह रहल बीआ कि बा बीमार होली में ।

बड़ा भागे से मिल जाला कबो ससुरार में गारी
तनिक अनराज मत होखीं अरे सरकार होली में ।

मुहब्बत के बा लिहले जाल केहू दिल के दीअर में
कि चिरई के बझावे आ गइल मिसकार होली में ।

कहीं त तंग साहेब छोड़ के हितई निकल जाईं
कि मँहगी में सम्हारीं हाय हम घरबार होली में ।

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