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भोजपुरी साहित्य
सुरुज भोरे के साँझे लुकइबे करी – चन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘परवाना’
मुक्तक
September 6, 2023
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जरत दियना त कबों बुतइबे करी।सुरुज भोरे के साँझे...
अब गीत लिखीं कि रीति लिखीं – चंद्रभूषण पाण्डेय
गीत/ग़ज़ल
September 6, 2023
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अब गीत लिखींकि रीति लिखींसभकर उगिललहम तींत लिखींअन्हरिया पअंजोरिया...
‘कहानी के प्लाट’ मनोज भावुक की लिखी प्रेम कथा
कहानी
August 27, 2023
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बुझाइल जइसे केहू पूछत होखे, का हो मनोज कहानी के प्लॉट ह कि हकीकत के पोस्टमार्टम?
केतनो रोई बाकिर अखिया लोरात नइखे – नूरैन अन्सारी
April 10, 2024
करके देखीं रउओ मंथन – ओमप्रकाश पंडित ‘ओम’
April 8, 2024
रसे-रसे महुवा फुलाइल हो रामा उनुका से कहि दऽ – डॉ अशोक द्विवेदी
April 8, 2024
घर से लेके बहरा तक हम धावत रह गइनी – नूरैन अन्सारी
April 7, 2024
बाकिर हर केहु रउआ खानि उदास नइखे – नूरैन अंसारी
April 1, 2024
निमने बतिया लोग के ख़राब लागत बा -नूरैन अन्सारी
April 1, 2024
नूरैन अन्सारी
केतनो रोई बाकिर अखिया लोरात नइखे – नूरैन अन्सारी
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जीवन में दुःख के बावजूद आंसू नहीं बहते, महंगाई से आदमी बेहाल है पर जिंदगी का बोझ उतरता नहीं| बाढ़ और सूखे से किसान प्रभावित होते हैं, अब खुशी से खेती नहीं होती| लोग जरूरत पर साथ नहीं देते, और आंतरिक पीड़ा छिप के सही जाती है।
घर से लेके बहरा तक हम धावत रह गइनी – नूरैन अन्सारी
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साख आपन ज़िनगी भर बचावत रह गइनी, कुछ बेमतलब के...
बाकिर हर केहु रउआ खानि उदास नइखे – नूरैन अंसारी
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अरे दुःख ये दुनिया में केकरा पास नइखे. बाकिर हर...
निमने बतिया लोग के ख़राब लागत बा -नूरैन अन्सारी
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निमने बतिया लोग के ख़राब लागत बा. धतूर जइसन कडुआ...
स्वर्ग जईसन घर भी बटाये लागेला – नूरैन अन्सारी
April 1, 2024
बोलवले बा केहू हमरा के देके तार होली में – सुनील कुमार तंग ( तंग इनायतपुरी)
April 1, 2024
ई ज़िनगी ह, येही लेखा चलत रही – नूरैन अन्सारी
April 1, 2024
आदमी आदमी के नज़र – मुकेश यादव ‘भावुक’
March 1, 2024
ज़िनगी के जियल आसान नईखे – नूरैन अंसारी
February 28, 2024
हँस देला में आख़िर नुक़सान का बाटे ?
नूरैन अंसारी
February 10, 2024
नईखे जिनगी के रहियाँ आसान भाई जी
नूरैन अंसारी
January 26, 2024
कईसे कटी पूष के रात
राजू साहनी
January 25, 2024
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मनोज भावुक
बर पीपर के छाँव के जइसन बाबूजी
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बर पीपर के छाँव के जइसन बाबूजीहमरा भीतर गाँव...
जब-जब जे महसूस करेलें उहे लिखेलें भावुक जी
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दर्द उबल के जब छलकेला गज़ल कहेलें भावुक जीजब-जब...
जब से शहर में आइल तब से बा अउँजियाइल – मनोज भावुक
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जब से शहर में आइल तब से बा अउँजियाइलरोटी...
दिल चुरावे ना आवेला उनका-मनोज भावुक
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दिल चुरावे ना आवेला उनका, गुल खिलावे ना आवेला उनका- Dil chorawe na aawelaunka gul khilave na aavela unka