ज़िनगी के जियल आसान नईखे.
आज के बाटे जे परेशान नईखे.
सोचेला आदमी करे के का का,
पर सब जगे सबकर सकान नईखे.
सुख तऽ हो गईल गुलर के फूल,
दुःख-दरद के कौनो धरान नईखे.
जोहत बा लोग समान पे गारंटी,
जिनिगिये के कौनो ठेकान नईखे
आ जाई बुलावा त जाही के पड़ी,
क़ेहु मउवत में नया – पुरान नईखे.