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दुश्मन आइल,सीमा भीतर दुश्मन के संहार करीं – मनोज भावुक

कारगिल युद्ध, भारत आ पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 ले जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिला में आ नियंत्रण रेखा (LoC) पर लड़ल गइल। भारत में एह युद्ध के ऑपरेशन विजय के नाम से भी जानल जाना। आज विजय दिवस पर भोजपुरी कवि श्री मनोज सिंह ‘भावुक’ के रचना 4 भाग मे पढ़ल जाव, ई कविता विजय दिवस के ठीक बाद (1999) भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका मे प्रकाशित भइल रहे.

भाग 1 : कारगिल मोर्चा पर विदा करत नई नवेली दुलहिन के अंतरात्मा

जाईं प्रियतम कर्मक्षेत्र में पौरुष के इजहार करीं,
दुश्मन आइल,सीमा भीतर दुश्मन के संहार करीं।

घूघंट में मत झांकी रउरा,झांकी हमरा हियरा में,
देखीं कइसन-कइसन झांकी देश-प्रेम के,जियरा में

हृदयेश्वर ! हे प्राणेश्वर, हमरा मन के श्रृंगार करीं,
पापी आइल सीमा भीतर, पापी के संहार करीं।

विजयपताका फहराते में,गौरव गरिमा के सुख बा
कायर-कर्मविमुखता में त,समझीं,बस दुखे-दुख बा।

सीमा पर हमनी के सेना दुश्मन पर भारी होई
कारगिल से लवटब, तबहीं हमनी के चौठारी होई.

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