भाग 1 : कारगिल मोर्चा पर विदा करत नई नवेली दुलहिन के अंतरात्मा
जाईं प्रियतम कर्मक्षेत्र में पौरुष के इजहार करीं,
दुश्मन आइल,सीमा भीतर दुश्मन के संहार करीं।
घूघंट में मत झांकी रउरा,झांकी हमरा हियरा में,
देखीं कइसन-कइसन झांकी देश-प्रेम के,जियरा में
हृदयेश्वर ! हे प्राणेश्वर, हमरा मन के श्रृंगार करीं,
पापी आइल सीमा भीतर, पापी के संहार करीं।
विजयपताका फहराते में,गौरव गरिमा के सुख बा
कायर-कर्मविमुखता में त,समझीं,बस दुखे-दुख बा।
सीमा पर हमनी के सेना दुश्मन पर भारी होई
कारगिल से लवटब, तबहीं हमनी के चौठारी होई.