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आदाबो ख़यालात में कितने अच्छे थे तुम-अभिषेक वत्स

अभिषेक उभरते हुए कलमकार हैं

आदाबो ख़यालात में कितने अच्छे थे तुम
वो पहली मुलाक़ात में कितने अच्छे थे तुम

तारों के बिना चेहरा उतरा उतरा सा है
ओ चाँद मियाँ! रात में कितने अच्छे थे तुम

आवारा घटाओं से इतना क्यूँ डरते हो
गुजरी हुई बरसात में कितने अच्छे थे तुम

वो तंज था उसका या पछतावा था, क्या था
कहना यही हर बात में कितने अच्छे थे तुम

सब छोड़ गए तुमको या तुमने छोड़ दिया
ऐ यार! मेरे साथ में कितने अच्छे थे तुम

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