साहित्य टीम

9 POSTS

Exclusive articles:

हँस देला में आख़िर नुक़सान का बाटे ?

नूरैन अंसारी भोजपुरी के उभरते हुए चर्चित गीतकार,ग़ज़लकार व साहित्यकार हैं.

नईखे जिनगी के रहियाँ आसान भाई जी

दुखऽ , मुसीबत ना घर से ओराला
तनी-तनी बतिया पे अँखियाँ लोराला
चिंता धईले बा साझों बिहान भाई जी
नईखे जिनगी के रहियाँ आसान भाई जी

कईसे कटी पूष के रात

कईसे कटी पूष के रात,
सोची सोची बा मन डेरात।
घर में नईखे इको दाना,
बटुली में बचल बा बसिया भात,
कईसे कटी पूष के रात,

सीता के परिक्षा बाकी बा

वनवास राम के कट गइल
सीता के परिक्षा बाकी बा
हे अवध के राजा अजुवो ले
माई के समस्या बाकी बा

आदाबो ख़यालात में कितने अच्छे थे तुम-अभिषेक वत्स

आदाबो ख़यालात में कितने अच्छे थे तुम
वो पहली मुलाक़ात में कितने अच्छे थे तुम

तारों के बिना चेहरा उतरा उतरा सा है
ओ चाँद मियाँ! रात में कितने अच्छे थे तुम

Breaking

केतनो रोई बाकिर अखिया लोरात नइखे – नूरैन अन्सारी

जीवन में दुःख के बावजूद आंसू नहीं बहते, महंगाई से आदमी बेहाल है पर जिंदगी का बोझ उतरता नहीं| बाढ़ और सूखे से किसान प्रभावित होते हैं, अब खुशी से खेती नहीं होती| लोग जरूरत पर साथ नहीं देते, और आंतरिक पीड़ा छिप के सही जाती है।
spot_imgspot_img