आज विजय दिवस पर भोजपुरी कवि श्री मनोज सिंह ‘भावुक’ के रचना 4 भाग मे पढ़ल जाव, ई कविता विजय दिवस के ठीक बाद (1999) भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका मे प्रकाशित भइल रहे.
खाये के त ठीके नइखे
तबो ऊ टेंटियात बा।
कारगिल में बिल बनाके
सुननी ह…….. केकियात बा।
भाड़ा के टट्टू के बल पे,
का-का-दो मिमियात बा
ओह पिल्ला पर…….. ओकर पिल्ला
काहे दो खिसियात बा।
मादा बनिके पोंछ उठवले,
कई दुवारी छिछिआइल
चारा ना डालल केहू त
पता चलल अवकात बा।
भावुक हियरा… भारत के
जीतल जमीन जे दान करे
ऊ का बोली…… लंगटे नाचब
ओकरा इहे बुझात बा।
एह से ओकर भरम मिटावल
भारत के मजबूरी बा।
खाक कइल नापाक पाक के,
बेटा बहुत जरूरी बा।