जीवन में दुःख के बावजूद आंसू नहीं बहते, महंगाई से आदमी बेहाल है पर जिंदगी का बोझ उतरता नहीं| बाढ़ और सूखे से किसान प्रभावित होते हैं, अब खुशी से खेती नहीं होती| लोग जरूरत पर साथ नहीं देते, और आंतरिक पीड़ा छिप के सही जाती है।
आज विजय दिवस पर भोजपुरी कवि श्री मनोज सिंह ‘भावुक’ के रचना 4 भाग मे पढ़ल जाव, ई कविता विजय दिवस के ठीक बाद (1999) भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका मे प्रकाशित भइल रहे.