‘द बिहार चेप्टर’ क्या नीतीश कुमार फिर से पाला बदलने जा रहे हैं?

बिहार की सियासत में माहौल एक बार फिर से गर्म हो गया है. राजधानी पटना से लेकर दिल्ली तक क्या बीजेपी, क्या आरजेडी और क्या नीतीश कुमार की अपनी पार्टी जेडीयू हर जगह बस नीतीश के बीजेपी में जाने की खबरें उड़ रही हैं. आखिर हो भी क्यों नही? भारत सरकार ने जब से बिहार के के बड़े नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की है तब से आरजेडी और जेडीयू में सबकुछ ठीक चल रहा हो ऐसा होता दिख नही रहा है.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने की घोषणा पर आरजेडी और जेडीयू दोनों के ही सुर अलग-अलग हैं. और यही वो प्रतिक्रिया है जिसके बाद दोनों पार्टियों में सबकुछ ठीक नही होने की अटकलों का दौर चालू हो गया है.

इस मामले को हवा तब और मिली जब लालू यादव की बेटी रोहणी आचार्य ने शोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लगातार तीन पोस्ट किया. हालांकि रोहणी ने बाद में तीनों पोस्ट को डिलीट कर दिया लेकिन हंगामा है कि थमने का नाम नही ले रहा है.

सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार इस्तीफा दे सकते हैं और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी पर प्रकशित न्यूज़ के अनुसार बीजेपी ने अपने बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को तुरंत दिल्ली पहुंचने का आदेश दिया है और बिहार से आने वाले मंत्रियों को भी दिल्ली बुलाया गया है. और विधायकों को पटना में ही रहने को कहा गया है. ख़बर के अनुसार बिहार विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है.

बिहार में चल रहे सियासी उठापटक को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की आपसी चर्चा भी हुई है. खबरों के अनुसार बीजेपी अपने पास सीएम पद रखना चाहती है और जेडीयू को डिप्टी सीएम पद देना चाहती है लेकिन नीतीश कुमार इस पर राजी नही हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और नीतीश कुमार के सलाहकार केसी त्यागी दिल्ली रवाना हो गए हैं और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं.

उधर जेडीयू के नेता और बिहार के वित्तमंत्री विजय कुमार चौधरी ने मौजूदा घटनाक्रम को लेकर कहा की बिहार सरकार में सबकुछ ठीक है. यही बात आरजेडी के नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि मौजूदा सरकार पूरे भरोसे पर चल रही है और कार्य करती रहेगी.

बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह पहले ही कह चुके हैं कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे पहले ही बंद हो चुके हैं. लेकिन राजनीति में समय और आवश्यकता व अनुकूलता के आगे दरवाजे कभी भी खुल सकते हैं और बंद हो सकते हैं.

बिहार की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है यह देखने वाली बात होगी.

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