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रिसाइक्लिंग के मुकाबले ई-कचरा बढ़ रहल बा

संयुक्त राष्ट्र के कहना बा कि जेतना भी ई-कचरा पूरी दुनिया मे पैदा हो रहल बा ओकरा मुकाबले रिसाइक्लिंग (यानी दुबारा इस्तेमाल लायक बनावे के प्रोसेस) के स्पीड धीमे बा. यूएन के एगो शोध के अनुसार लगभग 20 फ़ीसदी इलेक्ट्रॉनिक कचरा के ही रिसाइकिलिंग सही तरीका से हो पा रहल बा.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में जेतना तेजी से ई-कचरा पैदा हो रहल बा ओतना तेजी रिसाइक्लिंग नइखे होत. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2022 में 6.2 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा भइल जवन की 2010 के बाद से 82 फ़ीसदी अधिका बा. अगर एहि तरह से चलत रही त 2020 तक 8.2 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा के पैदा भइला के अनुमान लगावल जा रहल बा.

ई-कचरा के मात्रा केतना अधिक बा एकर अंदाजा लगावल जा सकेला की अगर 40 मीट्रिक टन छमता वाला ट्रक में एके भरल जाव त लगभग 15.5 लाख से अधिक ट्रक के आवश्यकता पड़ी. अवुरी अगर एह ट्रक के एक दूसरे के पीछे खड़ा कइल जाव त भूमध्य रेखा पर धरती के चारो तरफ एगो लाइन बनावल जा सकेला.

इलेक्ट्रॉनिक कचरा अर्थात ई-वेस्ट (ई-कचरा) खराब हो गइल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस यानी मोबाइल, लैपटॉप, टीवी , फ्रिज जइसन डिवाइस के पार्ट होला. रिपोर्ट के अनुसार ई-कचरा से अरबो डॉलर के दुबारा इस्तेमाल हो सके वाला संसाधन बर्बाद हो रहल बा.

इलेक्ट्रॉनिक कचरा पर्यावरण के खातिर भी खतरनाक बा. काहें से की ई-वेस्ट में जहरीला पदार्थ हो सकेला, जेकर निपटान सही ढंग से ना भइला पर पर्यावरण अवुरी आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ी.

अइसन बहुत सारा कारण बा कि इलेक्ट्रॉनिक समान जल्दी ही खराब हो जालें. कुछ इलेक्ट्रॉनिक आइटम के ए तरह से बनावल जाला कि रिपेयरिंग मुश्किल हो जाला.

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